हरियाणा में राजनीतिक बड़ी उठापटक, JJP और ASP का गठबंधन; जानिए क्या बनेंगे समीकरण
Haryana politics: हरियाणा में विधानसभा चुनाव से पहले JJP और ASP के नए गठबंधन की घोषणा, दलित वोटरों को साधने की रणनीति। जानिए कैसे बदलेंगे चुनावी समीकरण।
Haryana politics news, चंडीगढ़: हरियाणा की राजनीति में एक बार फिर बड़ा बदलाव देखने को मिला है। पिछले चुनावों के बाद, जहां बीजेपी और जननायक जनता पार्टी (JJP) ने मिलकर सरकार बनाई थी, वहीं कुछ समय पहले इन दोनों पार्टियों का गठबंधन टूट गया था। लेकिन अब JJP ने एक बार फिर से गठबंधन करने का ऐलान कर दिया है। JJP के नेता दुष्यंत चौटाला ने आज इस नए राजनीतिक समीकरण की घोषणा की।
ASP के साथ नई रणनीति:
जननायक जनता पार्टी ने इस बार आजाद समाज पार्टी (ASP) के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है। ASP के संस्थापक और भीम आर्मी के सदस्य चंद्रशेखर आजाद के साथ चर्चा के बाद, दुष्यंत चौटाला ने घोषणा की कि हरियाणा विधानसभा चुनाव में JJP और ASP मिलकर चुनाव लड़ेंगे। इस गठबंधन के तहत, 70 सीटों पर JJP और 20 सीटों पर ASP अपने उम्मीदवार खड़े करेगी।
दलित वोटरों का महत्व:
हरियाणा की राजनीति में दलित वोटरों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। प्रदेश की 90 विधानसभा सीटों में से 17 रिजर्व सीटें हैं, और 35 सीटों पर दलित वोटरों का खासा प्रभाव है। JJP का मुख्य टारगेट इन 52 सीटों पर है, जहां वह 2019 की तरह अपने लिए निर्णायक भूमिका निभाने की योजना बना रही है। पिछली बार, JJP को दलित समाज से अच्छा समर्थन मिला था, और जाट वोटरों का भी खासा हिस्सा उनके पक्ष में था।
सीट आवंटन | पार्टी |
---|---|
70 सीटें | JJP |
20 सीटें | ASP |
दलित वोटरों की भूमिका:
हरियाणा में करीब 21% वोट दलित समाज से आते हैं, जो राज्य के चुनावी परिणामों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस बार JJP और ASP का गठबंधन दलित वोटरों को साधने की कोशिश करेगा, ताकि उन्हें विधानसभा चुनाव में मजबूत समर्थन मिल सके। दुष्यंत चौटाला का मानना है कि यह गठबंधन हरियाणा की राजनीतिक समीकरणों को बदलने की ताकत रखता है।
विधानसभा चुनाव की तैयारियां: Haryana assembly elections
जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, राजनीतिक दलों के बीच गठबंधन और सीटों के बंटवारे को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई हैं। JJP और ASP का यह नया गठबंधन, हरियाणा की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है, जिससे चुनावी समीकरणों पर बड़ा असर पड़ेगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस गठबंधन के बाद अन्य पार्टियां क्या रणनीति अपनाती हैं और दलित वोटरों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए क्या कदम उठाती हैं।