दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर, जहां से गलती से भी प्रसाद न लाएं घर, अब जान भी लीजिए कारण
Mehandipur Balaji Temple : मेहंदीपुर बालाजी मंदिर की विशेष मान्यता और नियम जानिए। इस अद्भुत मंदिर में प्रसाद के साथ जुड़ी अनोखी परंपरा और भूत-प्रेत से मुक्ति की विशेष व्यवस्था के बारे में विस्तार से जानें।
Mehandipur Balaji Temple: भारत में अनेक मंदिर हैं, जिनकी अपनी खास मान्यता और धार्मिक महत्वता होती है। इनमें से कुछ मंदिर विशेष रूप से चमत्कारी माने जाते हैं और भक्तों की समस्याओं के समाधान के लिए प्रसिद्ध हैं। ऐसे ही एक अद्भुत मंदिर का नाम है मेहंदीपुर बालाजी मंदिर, जो अपनी अनूठी मान्यता और नियमों के लिए जाना जाता है। यहां प्रसाद को लेकर एक अनोखी परंपरा है, जो इस मंदिर को अन्य मंदिरों से अलग बनाती है।
हनुमान जी का मेहंदीपुर बालाजी मंदिर: विशेष पूजा और अद्भुत मान्यता
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर हनुमान जी के बालरूप की पूजा के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर भारत के प्राचीन मंदिरों में से एक है और हनुमान जी के साथ-साथ भैरव जी प्रेतराज को भी समर्पित है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां पर आने वाले भक्तों को मानसिक पीड़ाओं और भूत-प्रेत के काले साए से राहत मिलती है।
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भूत-प्रेत से मुक्ति की विशेष व्यवस्था
इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि जिन लोगों पर भूत-प्रेत का साया या बुरा प्रभाव होता है, उन्हें यहां राहत मिलती है। मंदिर में विशेष पूजा-अनुष्ठान के दौरान, भक्त अक्सर चिल्लाने लगते हैं, और पूजा के बाद उन्हें बुरी शक्तियों से आजादी मिल जाती है। हनुमान जी अपने भक्तों के कष्टों को यहां बांध कर रख लेते हैं और दूर-दूर से लोग अपनी समस्याओं के समाधान के लिए इस मंदिर में आते हैं।
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प्रसाद न खाने का कारण
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर की सबसे अनोखी बात यह है कि यहां का प्रसाद भक्तों को घर ले जाना या खाना नहीं चाहिए। मान्यता है कि इस मंदिर में बंधी हुई प्रेत आत्माएं और काली शक्तियां प्रसाद के साथ घर चली जाती हैं और वहां हावी हो सकती हैं। इस वजह से भक्तों को सलाह दी जाती है कि वे इस मंदिर का प्रसाद न तो घर ले जाएं और न ही उसे खाएं, क्योंकि ऐसा करने से व्यक्ति को नकारात्मक प्रभावों का सामना करना पड़ सकता है।