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हरियाणा में एससी आरक्षण में हो सकता है वर्गीकरण, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सरकार करेगी विचार

Haryana Government: सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद हरियाणा सरकार नौकरियों में अनुसूचित जातियों (एससी) के आरक्षण में वर्गीकरण पर कर सकती है विचार। वंचित एससी वर्ग को मिलेगा विशेष आरक्षण?

Haryana SC Reservation Classification Update: हरियाणा सरकार अनुसूचित जातियों (एससी) के आरक्षण में वर्गीकरण पर विचार कर रही है। यह निर्णय राज्य कैबिनेट की एक बैठक में लिया गया, जिसमें राज्य मंत्री बिशंभर वाल्मीकि ने यह मुद्दा उठाया। सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले में कहा गया है कि राज्य चाहें तो एससी के आरक्षण में वर्गीकरण कर सकते हैं। इस फैसले का अध्ययन करने के बाद हरियाणा एससी कमीशन से रिपोर्ट ली जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला और हरियाणा सरकार का रुख

2020 में हरियाणा सरकार ने उच्चतर शिक्षा विभाग में एससी आरक्षण के वर्गीकरण की शुरुआत की थी। इसके तहत 20 प्रतिशत आरक्षित सीटों में से 50 प्रतिशत सीटें वंचित एससी वर्ग की 36 जातियों के लिए निर्धारित की गई थीं। हालांकि, यह प्रावधान सरकारी नौकरियों में लागू नहीं किया गया था। अब, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, हरियाणा सरकार ने इस मुद्दे पर पुनर्विचार करने का निर्णय लिया है।

वंचित एससी वर्ग की जातियाँएससी आरक्षण का वर्गीकरण
आद धर्मी, वाल्मीकि, बंगवाली, बेरार, बटवाल, बावरिया, बाजीगर, भंजारा, चनल, डागी, डारेन, देहा, धानक, सिग्गी, डूम, गागरा, गांधीला, जुलाहा, खटीक, कोली, मरीहा, मजहबी सिख, मेघवाल, नट, ओड, पासी, पेरना, फेरारा, सन्हाई, सन्हाल, सांसी, संसोई, सपेरा, सरेरा, सिक्लीगर, सिरकीबंद50% आरक्षण वंचित एससी वर्ग के लिए

तेलंगाना की मिसाल और हरियाणा के संभावित कदम

तेलंगाना सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अगले ही दिन एससी के आरक्षण में वर्गीकरण को लागू कर दिया। हरियाणा के मंत्री बिशंभर वाल्मीकि का मानना है कि इसी प्रकार हरियाणा में भी इस कदम को उठाना चाहिए। वाल्मीकि ने कैबिनेट में बताया कि राज्य की 90 विधानसभा सीटों में से 64 सीटों पर एससी मतदाताओं में वंचित एससी वर्ग का बहुमत है। इनमें से 52 विधानसभा सीटों पर 70 प्रतिशत से अधिक वंचित एससी मतदाता हैं।

हरियाणा में आरक्षण के इतिहास पर एक नजर

हरियाणा में एससी आरक्षण में वर्गीकरण का इतिहास 1994 में शुरू हुआ, जब भजन लाल सरकार ने इसे लागू किया। हालांकि, यह मामला पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में पहुंचा और 2006 में इस वर्गीकरण को खत्म कर दिया गया। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा, जो अब फिर से चर्चा का विषय बन गया है।

हरियाणा सरकार के इस फैसले का अनुसरण करते हुए, राज्य में एससी आरक्षण के वर्गीकरण का मुद्दा एक बार फिर से उठ सकता है। कैबिनेट द्वारा लिए गए इस फैसले का असर राज्य की राजनीति और समाज पर गहरा पड़ सकता है। अब देखना यह है कि हरियाणा सरकार किस प्रकार इस मुद्दे को सुलझाती है और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार क्या कदम उठाती है।

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