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Pitru Paksha 2024: कैसे बना राक्षस की नगरी गया मोक्ष स्थली? जानें पूरी पौराणिक कथा

Pitru Paksha 2024: जानें गया के पितृपक्ष मेले और गयासुर की पौराणिक कथा के बारे में, जिसने इस नगरी को मोक्ष की स्थली बना दिया। पिंडदान और मोक्ष की पूरी जानकारी।

Pitru Paksh 2024: गया में पितृपक्ष के दौरान हजारों लोग पिंडदान करने आते हैं, जानते हैं कैसे इस नगरी को मिला मोक्ष का विशेष स्थान।

गया का महत्व और पितृपक्ष मेला

गया, बिहार का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है जो हर साल पितृपक्ष के दौरान विशेष रूप से प्रसिद्ध होता है। यहां देश-विदेश से लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए पिंडदान करने आते हैं। माना जाता है कि यहां पिंडदान करने से पूर्वजों की आत्माओं को जीवन-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है। गया सिर्फ हिंदू धर्म के लिए ही नहीं बल्कि बौद्ध धर्म के लिए भी खास महत्व रखता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि कैसे गया, जो पहले एक राक्षस की नगरी थी, मोक्ष की स्थली बन गई?

गयासुर का तप और वरदान

गया के मोक्ष स्थल बनने की कहानी विष्णु पुराण में वर्णित है। पौराणिक काल में एक गयासुर नाम का राक्षस था, जिसने ब्रह्माजी की कठोर तपस्या की। उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्माजी ने उसे वरदान मांगने को कहा। गयासुर ने वरदान मांगा कि जो भी व्यक्ति उसे देख लेगा, वह यमलोक के द्वार पर कभी नहीं जाएगा, और उसकी आत्मा सीधे विष्णु लोक को प्राप्त करेगी।

यमलोक में मची हलचल

गयासुर के इस वरदान के कारण यमलोक में हाहाकार मच गया। जब कोई व्यक्ति गयासुर को मरते समय या उससे पहले देख लेता, तो उसकी आत्मा यमलोक में प्रवेश करने के बजाय सीधे विष्णु लोक चली जाती। इससे यमराज चिंतित हो उठे कि यदि यही स्थिति बनी रही तो एक दिन पापी आत्माएं भी मोक्ष प्राप्त कर लेंगी और सृष्टि का संतुलन बिगड़ जाएगा। इस समस्या के समाधान के लिए यमराज ने ब्रह्मा, विष्णु और शिव से मदद मांगी।

गयासुर की पीठ पर हुआ यज्ञ

ब्रह्माजी, विष्णुजी और शिवजी ने इस समस्या का समाधान निकालने के लिए गयासुर से मुलाकात की। उन्होंने गयासुर से कहा कि हम चाहते हैं कि तुम्हारी पीठ पर एक विशेष यज्ञ किया जाए। गयासुर सहर्ष तैयार हो गया। यज्ञ समाप्त होने पर भगवान विष्णु ने गयासुर के समर्पण से प्रसन्न होकर उसे आशीर्वाद दिया कि आज से यह स्थान “गया” के नाम से जाना जाएगा और यहां पिंडदान करने से मृतकों की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होगी। गयासुर की पीठ पर रखा पत्थर आज “प्रेत शिला” के नाम से प्रसिद्ध है, जो गया के धार्मिक महत्व को और भी बढ़ाता है।

पितृपक्ष में पिंडदान का महत्व

पितृपक्ष के दौरान गया में एक विशेष मेले का आयोजन किया जाता है। इस समय हजारों लोग यहां आकर अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करते हैं। यहां पिंडदान करने की मान्यता सदियों पुरानी है और माना जाता है कि यह पितरों को मोक्ष दिलाने का सर्वोत्तम स्थान है। गया का यह धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व उसे भारत के प्रमुख धार्मिक स्थलों में शामिल करता है।

Bharat Singh

मेरा नाम भारत सिंह है और उमंग हरियाणा पर फिलहाल ज्योतिष जगत से जुड़े आर्टिकल लिखता हूँ। मेरा काम आपको दैनिक राशिफल, पंचांग, ज्योतिष टिप्स, वास्तु शास्त्र, विशेष पूजा अर्चना, वार-त्यौहार, कुंडली आदि के बारे में अपडेट रखना है।

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