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मनरेगा योजना: मनरेगा में अब ड्रोन से होगी कामों की निगरानी, नहीं कर पायेगा कोई गड़बड़ी

MNREGA Yojana: यूपी में मनरेगा के कामों में गड़बड़ी की शिकायतों के बाद, ड्रोन के माध्यम से निगरानी शुरू। जानें किस तरह से ड्रोन की मदद से कामों में पारदर्शिता लाने का प्रयास हो रहा है।

MNREGA Yojana: मनरेगा योजना (Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act – MNREGA) के तहत अब कामों की निगरानी में सख्ती बरती जा रही है। राज्य सरकार ने विभिन्न जगहों से गड़बड़ी की शिकायतें मिलने के बाद मनरेगा कामों की जांच के लिए ड्रोन तैनात करने का निर्णय लिया है। यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि योजना के तहत कामों में पारदर्शिता आए और पात्र व्यक्तियों को पूरी तरह से योजना का लाभ मिले।

ड्रोन से हो रही है निगरानी

मनरेगा के तहत कई मामलों में शिकायतें मिली थीं कि श्रमिक बिना काम पर आए भी हाजिरी दिखा दी जाती थी और वे योजना के तहत मजदूरी का लाभ उठा लेते थे। ऐसी गड़बड़ियों को रोकने के लिए अब यूपी के कई जिलों में ड्रोन के जरिए मनरेगा के कामों की निगरानी शुरू कर दी गई है। सबसे पहले इस प्रक्रिया को बांदा जिले में लागू किया गया है, जहां मनरेगा के कामों की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी ड्रोन से कराई जा रही है।

बुंदेलखंड में अधिक शिकायतें

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मनरेगा के कामों में सबसे अधिक गड़बड़ियां बुंदेलखंड के जिलों से सामने आई हैं। ग्रामीण विकास विभाग ने इन शिकायतों के मद्देनजर बुंदेलखंड के बांदा जिले में सबसे पहले ड्रोन की मदद से कामों की जांच शुरू की। अब, जल्द ही यह प्रक्रिया अन्य जिलों जैसे जालौन में भी लागू की जाएगी।

ड्रोन से होगी गुणवत्ता पर नजर

उपमुख्यमंत्री और ग्राम्य विकास मंत्री केशव प्रसाद मौर्य के निर्देश पर मनरेगा के कामों की गुणवत्ता की जांच भी अब ड्रोन से की जा रही है। इसके तहत कितने श्रमिक कार्यरत हैं, कितना काम किया गया है और योजना का सही तरीके से क्रियान्वयन हो रहा है या नहीं, इसकी पूरी जांच की जाएगी। इस प्रक्रिया से गड़बड़ी की संभावनाओं को कम करने का प्रयास हो रहा है।

कैसे होती है ड्रोन से निगरानी?

ड्रोन के जरिए मनरेगा कामों की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी कराई जाती है। इससे यह स्पष्ट होता है कि जमीनी स्तर पर काम सही तरीके से हो रहा है या नहीं। निगरानी के लिए अब ड्रोन टीमों की संख्या भी बढ़ाई जा रही है। बांदा जिले में इसका सफल परीक्षण हो चुका है और अब इसे जालौन जैसे जिलों में भी लागू किया जा रहा है।

जिलाशुरू की गई निगरानी
बांदाड्रोन निगरानी शुरू
जालौनआगामी योजना

मनरेगा योजना के मुख्य बिंदु

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) की शुरुआत 7 सितंबर 2005 को की गई थी। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण परिवारों के वयस्क व्यक्तियों को साल में 100 दिनों तक का रोजगार उपलब्ध कराना है। यह योजना विशेष रूप से ग्रामीण गरीबों, महिलाओं और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं बीपीएल परिवारों के लिए बनाई गई है।

यूपी में मजदूरी दर

उत्तर प्रदेश में मनरेगा के तहत मजदूरों को 337 रुपए प्रतिदिन की मजदूरी दी जाती है। राज्य में करीब 3.20 करोड़ मजदूर मनरेगा से जुड़े हुए हैं, जिसमें से लगभग 1.62 करोड़ मजदूर सक्रिय रूप से इस योजना के तहत काम कर रहे हैं।

कोरोना काल में मनरेगा का महत्व

कोरोना महामारी के दौरान जब प्रवासी मजदूर अपने गाँव लौटे थे, तब मनरेगा योजना ने उन्हें गाँव में ही काम उपलब्ध कराया था। इस योजना ने उस समय आर्थिक संकट से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हालांकि, महामारी खत्म होने के बाद कई मजदूर अन्य शहरों में काम के लिए लौट गए, जिससे मनरेगा में सक्रिय मजदूरों की संख्या में कमी आई है।

पारदर्शिता और गुणवत्ता की ओर कदम

ड्रोन तकनीक के उपयोग से मनरेगा योजना में पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा और काम की गुणवत्ता भी बेहतर होगी। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि श्रमिकों को उनके काम के अनुसार उचित भुगतान मिल रहा है और योजना का सही तरीके से क्रियान्वयन हो रहा है।

ड्रोन निगरानी के जरिए सरकार मनरेगा योजना को अधिक प्रभावी बनाने के लिए लगातार प्रयासरत है। उम्मीद की जा रही है कि इस तकनीक के उपयोग से गड़बड़ी की शिकायतें कम होंगी और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार का बेहतर वातावरण बनेगा।

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