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Ganesh Chaturthi 2024: गणेश चतुर्थी कब है? जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और गणपति विसर्जन की जानकारी

Ganesh Chaturthi 2024: गणेश चतुर्थी 2024 का पर्व 6 सितंबर से शुरू हो रहा है। जानें पूजा विधि, मूर्ति स्थापना का शुभ मुहूर्त और विसर्जन की तारीख। गणपति बप्पा मोरया के जयकारों के साथ करें भगवान गणेश का स्वागत।

Ganesh Chaturthi 2024: हिंदू धर्म में गणेश चतुर्थी का पर्व विशेष महत्व रखता है। यह भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है, जिन्हें बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य का देवता माना जाता है। हर साल यह त्योहार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस साल गणेश चतुर्थी 2024 का पर्व 6 सितंबर को आरंभ होगा और गणेश विसर्जन 17 सितंबर को होगा। आइए जानते हैं इस पर्व के महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में विस्तार से।

गणेश चतुर्थी का महत्व

गणेश चतुर्थी को हिंदू धर्म में भगवान गणेश के जन्म के रूप में मनाया जाता है। भगवान गणेश को हर शुभ कार्य से पहले पूजा जाता है, क्योंकि वे विघ्नहर्ता यानी समस्याओं को दूर करने वाले माने जाते हैं। गणपति बप्पा की पूजा से जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और बुद्धि का आगमन होता है। खासकर महाराष्ट्र में इस पर्व को बेहद धूमधाम से मनाया जाता है, जहां लोग सार्वजनिक पंडालों और घरों में गणेश जी की मूर्ति की स्थापना करते हैं और श्रद्धा-भाव से उनकी पूजा-अर्चना करते हैं।

गणेश चतुर्थी 2024 की तिथि और शुभ मुहूर्त

इस साल गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त 6 सितंबर 2024 को है। पूजा और मूर्ति स्थापना के लिए विशेष मुहूर्त का ध्यान रखना जरूरी होता है, क्योंकि सही समय पर की गई पूजा का फल कई गुना अधिक होता है।

गणेश चतुर्थी 2024 की तिथि6 सितंबर 2024, 03:01 PM से 7 सितंबर 2024, 05:37 PM तक
मूर्ति स्थापना का शुभ मुहूर्त7 सितंबर 2024, सुबह 11:03 AM से दोपहर 01:34 PM तक
विसर्जन की तिथि17 सितंबर 2024
वर्जित चन्द्रदर्शन का समय6 सितंबर 2024, 03:01 PM से 08:16 PM तक

पूजा विधि और मूर्ति स्थापना

गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की मूर्ति को घर, मंदिर या सार्वजनिक पंडाल में स्थापित किया जाता है। मूर्ति स्थापना का समय बेहद शुभ माना जाता है और इसके लिए मुहूर्त का पालन किया जाता है। पूजा में भगवान गणेश को मोदक, लड्डू और उनके पसंदीदा फूल अर्पित किए जाते हैं। साथ ही, मंत्रोच्चार और भजन भी गाए जाते हैं, जिससे वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा फैलती है। पूजा के अंत में भक्त गणपति स्तोत्र का पाठ करते हैं, जिससे विघ्नों का नाश होता है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।

गणपति विसर्जन: 17 सितंबर 2024

गणेश चतुर्थी का समापन अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान गणेश के विसर्जन के साथ होता है। इस साल गणपति विसर्जन 17 सितंबर को किया जाएगा। विसर्जन के समय भक्त गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ के जयकारे लगाते हुए गणेश जी की मूर्ति को जल में विसर्जित करते हैं। यह परंपरा इस विश्वास के साथ की जाती है कि गणेश जी अगले साल फिर से आकर भक्तों के जीवन में सुख-समृद्धि और मार्गदर्शन देंगे।

विसर्जन के दौरान उत्साह

गणेश विसर्जन के समय भक्तगण ढोल-ताशों के साथ नाचते-गाते हैं। महाराष्ट्र में इस पर्व का एक अलग ही रूप देखने को मिलता है, जहां हर गली-चौराहे पर भक्तगण गणपति बप्पा की शोभायात्रा निकालते हैं। लोग एक-दूसरे के साथ मिलकर उत्सव का आनंद लेते हैं और गणेश जी की विदाई को हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।

वर्जित चन्द्रदर्शन का समय

गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा को देखना वर्जित माना जाता है। मान्यता है कि चतुर्थी के दिन चंद्रदर्शन से कलंक लगता है। इस साल, वर्जित चन्द्रदर्शन का समय 6 सितंबर को दोपहर 03:01 PM से लेकर रात 08:16 PM तक रहेगा। भक्तों को इस समय के दौरान चंद्रमा को देखने से बचना चाहिए।

| वर्जित चन्द्रदर्शन का समय | 6 सितंबर 2024, 03:01 PM से 08:16 PM तक |

गणेश चतुर्थी का प्रभाव और समर्पण

गणेश चतुर्थी सिर्फ पूजा का पर्व नहीं है, बल्कि यह सामाजिक एकता और उत्साह का भी प्रतीक है। भगवान गणेश के प्रति श्रद्धा और भक्ति के कारण यह त्योहार पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। लोग इस दिन सामूहिक रूप से पूजा-अर्चना करते हैं और समाज में एकजुटता का संदेश देते हैं।

Bharat Singh

मेरा नाम भारत सिंह है और उमंग हरियाणा पर फिलहाल ज्योतिष जगत से जुड़े आर्टिकल लिखता हूँ। मेरा काम आपको दैनिक राशिफल, पंचांग, ज्योतिष टिप्स, वास्तु शास्त्र, विशेष पूजा अर्चना, वार-त्यौहार, कुंडली आदि के बारे में अपडेट रखना है।

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