सरसों की नई प्रजाति KMRL 17-5: सात फीसदी ज्यादा तेल देने वाली नई किस्म का सफल परिक्षण; जानिए डिटेल्स
Mustard New Variety, KMRL 17-5: सरसों की नई प्रजाति KMRL 17-5 किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है। इसमें 7% अधिक तेल और 7.81% अधिक पैदावार है। जानिए इस प्रजाति के फायदे और इसकी विशेषताएं।
Mustard New Variety, KMRL 17-5: चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) के वैज्ञानिकों ने सरसों की एक नई प्रजाति KMRL 17-5 विकसित की है, जो न सिर्फ सात फीसदी अधिक तेल देती है बल्कि 7.81 फीसदी अधिक पैदावार भी होती है। इस प्रजाति की खासियत इसकी उच्च तेल मात्रा है, जो 39.6 फीसदी तक पहुंच गई है। राज्य सरकार ने इसे सर्टिफाइड कर दिया है और जल्द ही भारत सरकार से इसके बीज बिक्री का नोटिफिकेशन मिलने की उम्मीद है।
तेल और पैदावार में सुधार से किसानों को होगा बड़ा फायदा
सरसों की इस नई प्रजाति की खासियत यह है कि इसमें न केवल पैदावार ज्यादा होती है, बल्कि तेल की मात्रा भी अधिक होती है, जो किसानों को बड़ा आर्थिक लाभ दे सकती है। KMRL 17-5 प्रजाति की फसल 120 से 125 दिनों में तैयार हो जाती है, जो अन्य सामान्य प्रजातियों के मुकाबले 10-15 दिन कम समय लेती है। इससे किसान अगली फसल की बुआई में भी देरी से बच सकते हैं।
सरसों की प्रजाति | केएमआरएल 17-5 |
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फसल की बुआई का समय | 28 नवंबर तक |
फसल पकने का समय | 120 से 125 दिन |
तेल की मात्रा | 39.6 फीसदी |
राष्ट्रीय चेक से अधिक पैदावार | 7.81 फीसदी |
राष्ट्रीय चेक से अधिक तेल | 7.4 फीसदी |
गन्ना किसानों के लिए भी फायदेमंद
यह प्रजाति खासकर उन गन्ना किसानों के लिए फायदेमंद होगी, जो अक्सर गन्ने की कटाई के बाद खेत को खाली छोड़ने के लिए मजबूर हो जाते हैं। KMRL 17-5 की बुआई नवंबर के अंतिम सप्ताह (28 नवंबर तक) की जा सकती है। इससे गन्ने के बाद किसान इस सरसों की फसल भी उगा सकते हैं और खाली समय का सदुपयोग कर सकते हैं।
15 राज्यों में सफल परीक्षण
डॉ. महक सिंह, जो इस प्रजाति के जनक हैं, ने बताया कि सरसों की इस नई प्रजाति का परीक्षण 15 राज्यों की अलग-अलग जलवायु क्षेत्रों में किया गया है। तीन सालों के परीक्षण के बाद यह प्रजाति सफल साबित हुई है। इसका परीक्षण उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखंड, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और बिहार जैसी जगहों पर किया गया। KMRL 17-5 रोग और कीट मुक्त है, जो इसे किसानों के लिए और अधिक फायदेमंद बनाता है।
किसानों की आय में होगी वृद्धि
सीएसए के कुलपति, डॉ. आनंद कुमार सिंह ने इस नई प्रजाति के बारे में बताया कि यह फसल जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को सहने के साथ-साथ किसानों की आय को भी दोगुना करने में मदद करेगी। यह प्रजाति विशेष रूप से उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए फायदेमंद साबित होगी।
सरसों की 11 प्रजातियां देने वाले वरिष्ठ वैज्ञानिक
डॉ. महक सिंह ने अपने 25 साल के करियर में सरसों की 11 प्रजातियां विकसित की हैं। पहली प्रजाति उन्होंने 1999 में “उर्वशी” नाम से विकसित की थी। उनकी नई प्रजाति KMRL 17-5 किसानों को ज्यादा उत्पादन और तेल की मात्रा देकर बड़े लाभ की ओर अग्रसर करेगी। इसके अलावा, उन्होंने अलसी की दो प्रजातियां ‘आजाद प्रज्ञा’ और ‘अन्नू’ भी विकसित की हैं, जिनका कृषि जगत में बड़ा योगदान रहा है।