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किसानों की मुश्किलें बढ़ा रहा है नकली डीएपी खाद; जानिए कैसे करें सही चुनाव

Fertilizer Tips: नकली डीएपी खाद के कारण किसानों की फसल उत्पादन पर गहरा असर पड़ रहा है। जानिए नकली डीएपी की पहचान के तरीके और इससे निपटने के उपाय।

Fake DAP fertilizer: खेती को बेहतर बनाने और अच्छी फसल पाने के लिए किसानों को खाद की जरूरत होती है। लेकिन आजकल बाजार में नकली खादों का बढ़ता प्रसार किसानों के लिए बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। खासकर नकली डीएपी (डाई अमोनियम फास्फेट) खाद ने किसानों की आय और उनकी फसल पर गहरा असर डाला है। इस खाद के नकली होने से फसलों की पैदावार घट रही है और किसानों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है।

नकली डीएपी से हो रहा फसलों को नुकसान

किसानों का कहना है कि नकली डीएपी खाद के इस्तेमाल से फसल की गुणवत्ता और पैदावार कम हो रही है। डीएपी, जो कि फसलों की वृद्धि और उत्पादन बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है, में नकली खाद के कारण नाइट्रोजन और फॉस्फोरस जैसे पोषक तत्वों की कमी होती है। इससे मिट्टी की उर्वरता घटती है और फसल कमजोर हो जाती है। नकली खाद के कारण केवल किसानों को ही नहीं, बल्कि पूरे कृषि क्षेत्र को नुकसान हो रहा है।

नकली डीएपी की पहचान में देरी, 3 महीने बाद होती है हकीकत का पता

कई किसान जैसे प्रो. रामकुमार सिंह, विनोद सिंह और राजीव कुमार बताते हैं कि उन्हें यह पता चलने में तीन महीने का वक्त लगता है कि उन्होंने जो डीएपी खरीदा है, वह असली है या नकली। असली डीएपी के इस्तेमाल से अगर फसल अच्छी होती है तो किसान संतुष्ट हो जाते हैं, लेकिन जब उत्पादन कम होता है तब उन्हें एहसास होता है कि वे नकली डीएपी का शिकार हो गए हैं। यह समस्या किसानों के लिए बहुत निराशाजनक है, क्योंकि इससे उनकी मेहनत और आर्थिक स्थिति पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

नकली खादों की पहचान न होने से बढ़ रही परेशानी

किसानों को खाद और बीज की पहचान करना मुश्किल होता है। वे पैकेट पर लिखे गए विवरणों पर भरोसा करते हैं, लेकिन अक्सर उन्हें नकली खाद या बीज बेचकर धोखा दिया जाता है। महाराष्ट्र जैसे राज्यों ने इस समस्या को गंभीरता से लिया है और नकली खाद बेचने वालों पर सख्त कार्रवाई के लिए कानून बनाए हैं। लेकिन बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में इस प्रकार की सख्त व्यवस्था नहीं है। जिसके कारण किसानों को नकली खादों का सामना करना पड़ता है।

नकली डीएपी की पहचान कैसे करें?

कृषि विशेषज्ञ अंशुमान द्विवेदी के अनुसार, डीएपी दुनिया भर में सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाला फास्फोरस आधारित उर्वरक है। असली डीएपी की पहचान करने का एक सरल तरीका है – कुछ दानों को हाथ में लेकर तंबाकू की तरह चूने के साथ मलने पर अगर तेज गंध आती है तो यह संकेत है कि डीएपी असली है। नकली डीएपी किसानों के लिए बड़ी समस्या है और इससे निपटने के लिए किसानों को जागरूक करना बहुत जरूरी है। इसके साथ ही सरकार को नकली खाद के उत्पादन और बिक्री पर सख्त कदम उठाने चाहिए, ताकि किसानों को अच्छी गुणवत्ता वाली खाद उपलब्ध हो सके।

निष्कर्ष: नकली खादों पर कड़ी कार्रवाई जरूरी

किसानों की समस्या का समाधान तभी संभव है जब सरकार नकली खादों की बिक्री पर रोक लगाए और सख्त कार्रवाई करे। किसानों को भी इस दिशा में जागरूक होना चाहिए, ताकि वे असली और नकली खाद में फर्क समझ सकें। केवल अच्छी खाद का उपयोग कर ही किसान अपनी फसल की पैदावार बढ़ा सकते हैं और कृषि क्षेत्र को विकास की दिशा में ले जा सकते हैं।

AMIT KUMAR

नमस्कार! तेजी से बढ़ते और बदलते डिजिटल युग में उमंग हरियाणा पर कंटेंट राइटर का काम कर रहा हूँ। ताज़ा हिंदी ख़बरों और ट्रेंडिंग न्यूज़ से आपको अपडेट रखना मेरा काम है।

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