कभी हरियाणा में चलाई सरकार, अब महज 30 सीटों पर चुनाव लड़ रही INLD, जानिये कैसे कम हुई राजनीतिक स्थिति?
Haryana Assembly Election : हरियाणा की राजनीति में कभी प्रमुख भूमिका निभाने वाली इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो), इस बार के विधानसभा चुनाव में केवल 30 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार रही है। दूसरी ओर, उसकी सहयोगी पार्टी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) 38 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। इनेलो, जिसे देश के पूर्व उपप्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल की राजनीतिक विरासत माना जाता है, अब अपने पुराने रुतबे को कायम रखने में संघर्ष कर रही है।
चौधरी देवीलाल की विरासत और इनेलो की स्थापना:
चौधरी देवीलाल के पुत्र ओमप्रकाश चौटाला ने 2000 से 2005 तक हरियाणा पर सबसे लंबे समय तक शासन किया। ओमप्रकाश चौटाला ने अपने पांच अलग-अलग कार्यकालों में कुल 2,245 दिनों तक राज्य का नेतृत्व किया। 2005 तक इनेलो हरियाणा की राजनीति में एक प्रमुख शक्ति थी। हालांकि, 2005 के विधानसभा चुनाव में हार के बाद पार्टी की ताकत लगातार घटती गई।
2014 में आंशिक वापसी और 2019 में विभाजन:
2014 के चुनावों में इनेलो ने 19 सीटों पर जीत दर्ज कर बीजेपी के बाद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी, जबकि कांग्रेस केवल 17 सीटें ही जीत पाई। लेकिन, 2019 के चुनाव से पहले देवीलाल के पोतों, अभय और अजय चौटाला के बीच मतभेद खुलकर सामने आए। इसके बाद अजय चौटाला के बेटे दुष्यंत चौटाला ने जन नायक जनता पार्टी (जेजेपी) का गठन किया। जेजेपी ने 2019 के चुनाव में 10 सीटों पर जीत दर्ज की और बीजेपी के साथ गठबंधन कर राज्य में उपमुख्यमंत्री का पद प्राप्त किया।
पार्टी नेताओं की बगावत और गिरता जनाधार:
जाटों के वर्चस्व वाली इनेलो के कई बड़े नेताओं ने पार्टी छोड़कर बीजेपी और कांग्रेस का दामन थाम लिया। वर्तमान स्थिति यह है कि इनेलो के 31 पूर्व नेता अब बीजेपी और कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। इन नेताओं में से कई ने एक दशक पहले ही पार्टी छोड़ दी थी, जिससे इनेलो का आधार कमजोर होता गया।
स्पष्ट नेतृत्व का अभाव और गुटबाजी:
इनेलो के अंदर नेतृत्व की स्पष्टता की कमी और गुटबाजी के कारण पार्टी के समर्थकों में निराशा फैल गई है। 2018 में जेजेपी के गठन के बाद इनेलो का प्रभाव और भी कम हो गया। पार्टी में बगावत और टूट का दौर लगातार जारी है, जिससे इनेलो के सामने चुनौतीपूर्ण समय है।
चुनाव 2024 और इनेलो का भविष्य:
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में इनेलो और बसपा का गठबंधन 68 सीटों पर चुनाव लड़ रहा है, लेकिन इनेलो के गिरते जनाधार और बड़े नेताओं के पलायन के कारण उसका भविष्य अनिश्चित है। इनेलो के लिए यह चुनाव एक आखिरी मौका हो सकता है, जहां वह अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन को वापस पाने की कोशिश करेगी। हालांकि, बीजेपी और कांग्रेस राज्य की दो प्रमुख ताकतें बनी हुई हैं, जिससे इनेलो के लिए चुनौती और भी कठिन होती जा रही है।