सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले से क्यों औंधे मुंह गिरे Vodafone Idea के शेयर? अन्य टेलीकॉम कंपनियों पर भी असर
Vodafone Idea Share: सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों की एजीआर बकाया सुधार की याचिकाओं को खारिज कर दिया है। इस फैसले से वोडाफोन आइडिया और भारती एयरटेल समेत अन्य कंपनियों को बड़ा झटका लगा है।
Vodafone Idea Share: सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों को बड़ा झटका देते हुए समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) बकाया सुधार की याचिकाओं को खारिज कर दिया है। इस निर्णय के तहत वोडाफोन आइडिया और भारती एयरटेल सहित कई प्रमुख टेलीकॉम कंपनियों की उन याचिकाओं को भी खारिज कर दिया गया है, जिनमें एजीआर बकाया में त्रुटियों को सुधारने की मांग की गई थी।
एजीआर बकाया पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसमें चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति बी. आर. गवई शामिल थे, ने 30 अगस्त को इस महत्वपूर्ण निर्णय को सुनाया। इस निर्णय के अनुसार, कोर्ट ने सुधारात्मक याचिकाओं को खारिज कर दिया, जो खुली अदालत में सूचीबद्ध करने की मांग की गई थी। कोर्ट ने कहा कि सुधारात्मक याचिकाओं और संबंधित दस्तावेजों पर गौर करने के बाद यह निर्णय लिया गया कि इन याचिकाओं में कोई मामला नहीं बनता है।
कंपनियों का दावा और कोर्ट की प्रतिक्रिया
वोडाफोन आइडिया पर 70,300 करोड़ रुपये का बकाया है, और अन्य कंपनियों ने भी एजीआर बकाया में त्रुटियों का दावा किया था। इन कंपनियों का कहना था कि एजीआर बकाया राशि में कई त्रुटियां हैं, जो कुल मिलाकर एक लाख करोड़ रुपये से अधिक हैं। पहले जुलाई 2021 में भी सुप्रीम कोर्ट ने एजीआर बकाया की मांग में त्रुटियों को सुधारने की याचिका को खारिज किया था।
सुधारात्मक याचिकाओं की प्रक्रिया
सुप्रीम कोर्ट में सुधारात्मक याचिकाओं की प्रक्रिया एक अंतिम उपाय के रूप में मानी जाती है, जिसका अर्थ है कि इसके बाद इस अदालत में कोई कानूनी रास्ता उपलब्ध नहीं होता। सामान्यतः इन याचिकाओं पर बंद कमरे में विचार किया जाता है, जब तक कि पहले की अदालत के फैसले पर पुनर्विचार का मामला नहीं बन जाता। इस बार भी कोर्ट ने यही दृष्टिकोण अपनाया और याचिकाओं को खारिज कर दिया।
भविष्य की राह
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद टेलीकॉम कंपनियों को अब बकाया की राशि को लेकर दी गई याचिका में सुधार की कोई उम्मीद नहीं है। यह निर्णय कंपनियों के लिए एक महत्वपूर्ण झटका है, जिससे उनकी वित्तीय स्थिति पर असर पड़ सकता है। आने वाले समय में कंपनियों को इस स्थिति का समाधान खोजने के लिए अन्य कानूनी विकल्पों पर विचार करना पड़ सकता है।