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सैटेलाइट बेस्ड टोल सिस्टम: FASTag का भविष्य और भारत में नई टोल प्रणाली की शुरुआत

भारत में टोल प्लाजा पर लंबी लाइनों से छुटकारा पाने के लिए सैटेलाइट बेस्ड टोल सिस्टम लागू किया जा रहा है। जानिए यह GPS Toll System कैसे काम करेगा और FASTag का भविष्य क्या होगा।

भारत में टोल प्लाजा पर लंबी लाइनों से छुटकारा पाने का सपना अब साकार होता दिख रहा है। सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने सैटेलाइट बेस्ड टोल सिस्टम को हरी झंडी दे दी है। यह नया प्रणाली FASTag की जगह लेगी या दोनों साथ काम करेंगे, यह बड़ा सवाल है। सैटेलाइट बेस्ड टोल प्रणाली को GPS Toll System के नाम से भी जाना जाता है और इसे पहले कमर्शियल व्हीकल्स पर लागू किया जाएगा।

क्या है सैटेलाइट बेस्ड टोल सिस्टम?

सैटेलाइट बेस्ड टोल सिस्टम एक ऐसा उन्नत टोल संग्रहण प्रणाली है जो पूरी तरह से सैटेलाइट पर आधारित है। इसमें वाहनों को टोल प्लाजा पर रुकने की जरूरत नहीं होगी, बल्कि वाहन सीधे हाईवे पर चलते हुए ही टोल कट जाएगा। वाहनों की पहचान GPS सिस्टम द्वारा की जाएगी और इससे टोल की राशि सीधे वाहन मालिक के खाते या वॉलेट से कट जाएगी।

यह प्रणाली जर्मनी और रूस जैसे देशों में पहले से लागू है और वहां के यूजर्स को टोल प्लाजा पर रुकने की आवश्यकता नहीं होती। भारत में इसे लागू करने के बाद, टोल प्लाजा पर लंबी लाइनों और समय की बर्बादी से छुटकारा मिलेगा।

FASTag का भविष्य

नितिन गडकरी के नेतृत्व में सड़क परिवहन मंत्रालय ने सैटेलाइट बेस्ड टोल प्रणाली को मंजूरी दी है, लेकिन FASTag फिलहाल बंद नहीं हो रहा है। हालांकि, आने वाले समय में FASTag की जगह GPS Toll System ले सकता है। शुरुआत में इस नई प्रणाली को केवल कमर्शियल वाहनों पर लागू किया जाएगा। इसके बाद, इसे निजी वाहनों के लिए भी उपलब्ध कराया जाएगा।

इस प्रणाली में अलग से एक लेन तैयार की जाएगी, जिससे गुजरने वाले वाहनों का टोल स्वचालित रूप से कट जाएगा। अगर कोई वाहन चालक गलत लेन से गुजरता है और उसका टोल नहीं कटता, तो उसे जुर्माना भरना पड़ सकता है।

कैसे काम करेगा GPS Toll System?

अभी तक सामने आई जानकारी के अनुसार, GPS Toll System सीधे वाहन मालिक के बैंक खाते से अटैच होगा या अलग से वॉलेट के जरिए काम करेगा। हालांकि, अभी इस बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिली है कि यह सिस्टम किस प्रकार कार्य करेगा।

कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, यह प्रणाली पूरी तरह से बैंक खाते से लिंक हो सकती है, वहीं कुछ का कहना है कि इसके लिए अलग से एक वॉलेट की व्यवस्था होगी। यूजर्स को उसमें पैसे ऐड करने होंगे और वहीं से टोल कटेगा।

फीस और खर्च

FASTag की तुलना में GPS Toll System काफी महंगा साबित हो सकता है। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस नई प्रणाली की फीस 4,000 रुपए तक हो सकती है। इसके अलावा, टोल भुगतान इसके अलग से होंगे। इसका मतलब यह है कि शुरुआत में इस प्रणाली का खर्च सामान्य से अधिक हो सकता है।

टोल प्रणालीअनुमानित फीसटोल भुगतान
FASTagसामान्य (सस्ता)टोल अलग से कटता है
GPS Toll₹4,000 तकटोल अलग से कटेगा

भारत में नई टोल प्रणाली का प्रभाव

भारत में यह प्रणाली एक नया और अत्याधुनिक कदम साबित हो सकता है। जर्मनी और रूस जैसे देशों में यह सिस्टम पहले से लागू है, और वहां टोल प्लाजा पर रुकने की समस्या नहीं होती। अगर यह भारत में भी पूरी तरह से लागू हो जाता है, तो यह टोल प्लाजा पर होने वाली भीड़ और समय की बर्बादी से बचने के लिए एक बेहतर विकल्प साबित होगा।

नितिन गडकरी की पूर्व घोषणा

नितिन गडकरी ने पहले भी इस प्रणाली का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था कि सरकार एक ऐसा सिस्टम लाने पर काम कर रही है, जिससे टोल प्लाजा पर रुकने की आवश्यकता नहीं होगी। इससे यात्रा न केवल तेज होगी बल्कि बिना किसी रुकावट के टोल भुगतान भी होगा।

Sandeep Kumar

नमस्कार! उमंग हरियाणा पर फ़िलहाल कंटेंट राइटर का काम कर रहा हूँ। आपको हरियाणा की ताज़ा हिंदी ख़बरों और देश-विदेश की ट्रेंडिंग न्यूज़ से आपको अपडेट रखना मेरा काम है।

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