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खाने के तेल पर सरकार का बड़ा फैसला, आज से लागू हुआ नया नियम, कीमतों पर सीधा असर!

Edible Oil Price: भारत सरकार ने घरेलू तिलहन किसानों की सुरक्षा के लिए कच्चे और रिफाइंड खाद्य तेलों पर इम्पोर्ट ड्यूटी बढ़ाई है। जानें, इसका तेल की कीमतों और किसानों पर क्या असर पड़ेगा।

नई दिल्ली, 14 सितंबर 2024 – भारत सरकार ने खाने के तेल (Edible Oil) की कीमतों और घरेलू तिलहन किसानों को सपोर्ट देने के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। आज से, सरकार ने कच्चे और रिफाइंड खाद्य तेलों पर बेसिक इम्पोर्ट ड्यूटी में भारी बढ़ोतरी की घोषणा की है। यह निर्णय विशेष रूप से तिलहन उत्पादकों को मजबूत करने और आयात पर निर्भरता कम करने के उद्देश्य से लिया गया है।

खाद्य तेलों पर इम्पोर्ट ड्यूटी में भारी बढ़ोतरी

सरकार ने कच्चे पाम तेल, सोया तेल और सूरजमुखी तेल पर इम्पोर्ट ड्यूटी बढ़ाकर 27.5% कर दी है, जो पहले केवल 5.5% थी। इसके अलावा, रिफाइंड पाम तेल, सोया तेल और सूरजमुखी तेल पर भी इम्पोर्ट ड्यूटी 13.75% से बढ़ाकर 35.75% कर दी गई है।

तेल का प्रकारपहले की ड्यूटीनई ड्यूटी
कच्चे पाम तेल5.5%27.5%
कच्चा सोया तेल5.5%27.5%
कच्चा सूरजमुखी तेल5.5%27.5%
रिफाइंड पाम तेल13.75%35.75%
रिफाइंड सोया तेल13.75%35.75%
रिफाइंड सूरजमुखी तेल13.75%35.75%

स्थानीय किसानों के लिए राहत

सरकार के इस कदम से घरेलू तिलहन किसानों को बहुत राहत मिलेगी। इम्पोर्ट ड्यूटी बढ़ाने से विदेशी आयात महंगा हो जाएगा और इससे स्थानीय किसानों को उनके उत्पादों के लिए बेहतर कीमत मिल सकेगी। तिलहन किसानों को बाजार में और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाया जाएगा, जिससे घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और किसानों की आय में सुधार होगा।

खाद्य तेल की कीमतों में वृद्धि की संभावना

ड्यूटी बढ़ने से खाद्य तेल की कीमतों में निकट भविष्य में वृद्धि की संभावना है। जब आयात महंगा हो जाएगा, तो घरेलू बाजार में तेल की कीमतें स्वतः बढ़ सकती हैं। इससे उपभोक्ताओं पर भी असर पड़ने की संभावना है। हालांकि, इसका एक सकारात्मक पहलू यह है कि इससे तिलहन किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, जो लंबे समय से आयातित तेलों की वजह से कठिनाइयों का सामना कर रहे थे।

खपत और आयात में कमी का असर

नई इम्पोर्ट ड्यूटी के लागू होने के बाद, पाम तेल, सोया तेल और सूरजमुखी तेल का आयात कम हो सकता है। इससे भारत की खाद्य तेल की आयात पर निर्भरता घटेगी, जिससे देश की विदेशी मुद्रा बचत में भी मदद मिलेगी।

अंतरराष्ट्रीय बाजार पर प्रभाव

इस पॉलिसी का अंतरराष्ट्रीय बाजार पर भी असर पड़ सकता है, क्योंकि भारत खाद्य तेल का प्रमुख आयातक है। आयात घटने से अंतरराष्ट्रीय तेल बाजारों में मांग घट सकती है, जिससे तेल की कीमतें प्रभावित हो सकती हैं।

क्या यह कदम लंबे समय में फायदेमंद होगा?

विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम तिलहन उत्पादन को बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीति साबित हो सकता है। सरकार का उद्देश्य तिलहन किसानों को मजबूत करना और उन्हें बेहतर बाजार मूल्य प्रदान करना है। हालांकि, उपभोक्ताओं के लिए शुरुआती दौर में तेल की कीमतों में वृद्धि हो सकती है, लेकिन लंबे समय में इसका लाभ घरेलू कृषि क्षेत्र और अर्थव्यवस्था पर देखने को मिलेगा।

AMIT KUMAR

नमस्कार! तेजी से बढ़ते और बदलते डिजिटल युग में उमंग हरियाणा पर कंटेंट राइटर का काम कर रहा हूँ। ताज़ा हिंदी ख़बरों और ट्रेंडिंग न्यूज़ से आपको अपडेट रखना मेरा काम है।

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