मौसम

भारत का मिशन मौसम: अगले पांच साल में मौसम पर नियंत्रण का वादा; इंद्रदेव खुद होंगे देश के वैज्ञानिक

Mission Mausam, Artificial Weather Modification: भारत के मिशन मौसम के तहत अगले पांच वर्षों में कृत्रिम मौसम नियंत्रण की योजना। जानें बारिश, बिजली और ओलों पर नियंत्रण की नई पहल के बारे में।

मुख्य बिंदु:
  • भारतीय मौसम वैज्ञानिक कृत्रिम मौसम परिवर्तन में अगले पांच वर्षों में महारत हासिल करेंगे।
  • 'मिशन मौसम' के तहत बारिश, बिजली और ओलों पर नियंत्रण की योजना।
  • प्रयोगों के लिए 18 महीनों की लैब परीक्षण अवधि और भविष्य की योजनाएं।

Mission Mausam, Artificial Weather Modification: भारत में मौसम को नियंत्रित करने की दिशा में एक महत्वाकांक्षी योजना चल रही है। भारतीय मौसम वैज्ञानिक अगले पांच वर्षों में इतनी विशेषज्ञता प्राप्त करने का लक्ष्य रख रहे हैं कि वे बारिश, बिजली और ओलों की बारिश को नियंत्रित कर सकें। इस योजना का नाम ‘मिशन मौसम’ है, जिसे पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सेक्रेटरी एम. रविचंद्रन ने साझा किया।

मिशन मौसम: क्या है योजना?

मिशन मौसम के तहत वैज्ञानिक बारिश, बिजली और ओलों पर प्रभाव डालने के लिए कृत्रिम तकनीकों का उपयोग करेंगे। इस योजना के अंतर्गत, पहले 18 महीनों के दौरान क्लाउड चैंबर्स में प्रयोग किए जाएंगे। इसके बाद, पांच वर्षों के भीतर, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) कृत्रिम मौसम परिवर्तन में सक्षम होगा।

मुख्य गतिविधियाँ और प्रयोग:

  • क्लाउड सीडिंग: यह प्रक्रिया आर्टिफिशियल बारिश के लिए अपनाई जाती है, जिसमें बादलों में सिल्वर आयोडाइड, ड्राई आइस और साधारण नमक छोड़ा जाता है।
  • मौसम भविष्यवाणी: भविष्य के मौसम की सटीक भविष्यवाणी करने की तैयारी चल रही है। IMD शॉर्ट और मीडियम रेंज फोरकास्ट को 5-10 फीसदी तक सटीक बनाने का प्रयास कर रहा है।
  • मौसम ऐप: ‘Mausam GPT’ नामक एप्लीकेशन का विकास किया जा रहा है, जो मौसम संबंधी जानकारियों को तेजी से उपलब्ध कराएगा।

क्या 15 अगस्त को दिल्ली में बारिश को नियंत्रित किया जा सकता है?

रविचंद्रन ने यह भी कहा कि अगर आवश्यक हो, तो 15 अगस्त को दिल्ली में बारिश को कम करने का प्रयास किया जा सकता है ताकि आजादी के जश्न का आनंद बिना किसी बाधा के लिया जा सके।

अन्य देशों में कृत्रिम मौसम नियंत्रण

कृत्रिम मौसम नियंत्रण की तकनीकें अमेरिका, कनाडा, चीन, रूस और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में पहले से अपनाई जा रही हैं। इन देशों में क्लाउड सीडिंग प्रोजेक्ट्स चलाए जा रहे हैं, जो बारिश को तेज करने या उसे दबाने में मदद करते हैं।

क्लाउड सीडिंग: प्रक्रिया और लागत

क्लाउड सीडिंग के लिए बादलों में सिल्वर आयोडाइड, ड्राई आइस और साधारण नमक छोड़ा जाता है। इसके लिए आवश्यक है कि आसमान में कम से कम 40 फीसदी बादल हों और उनमें पानी की मात्रा हो। इस प्रक्रिया की लागत लगभग 10 से 15 लाख रुपए होती है।

संभावित चुनौतियाँ और सावधानियाँ

  • मौसम की सटीकता: मौसम की सटीक भविष्यवाणी और बादलों का सही चयन आवश्यक है, ताकि आर्टिफिशियल बारिश सफल हो सके।
  • वायु प्रदूषण: आर्टिफिशियल बारिश से वायु प्रदूषण का इलाज कुछ समय के लिए हो सकता है, लेकिन इसका स्थायी समाधान नहीं है।
  • सुरक्षा: तेज हवा की स्थिति में केमिकल का प्रभाव अनचाहे स्थान पर जा सकता है, जिससे सभी प्रयास बेकार हो सकते हैं।

भारत का ‘मिशन मौसम’ आने वाले वर्षों में मौसम पर नियंत्रण की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम साबित हो सकता है। हालांकि, इस योजना के सफल कार्यान्वयन के लिए कई तकनीकी और पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करना होगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
×