Unique Identity For Farmers: किसानों को मिलने वाली है नई पहचान; MSP और योजनाओं तक पहुंच होगी आसान
Unique Identity For Farmers: सरकार जल्द ही किसानों को यूनिक आईडी देने जा रही है, जिससे MSP, Kisan Credit Card जैसी योजनाओं का लाभ लेना और भी आसान हो जाएगा। इस पहल का उद्देश्य किसानों की परेशानी कम करके कृषि क्षेत्र को डिजिटल बनाना है।
नई दिल्ली: किसानों को जल्द ही एक नई और खास पहचान मिलने वाली है। सरकार ने कृषि क्षेत्र को डिजिटल बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाने की तैयारी कर ली है। इसके तहत, देशभर के किसानों का रजिस्ट्रेशन कर उन्हें आधार कार्ड के समान एक विशिष्ट पहचान पत्र (Unique Identity Card) दिया जाएगा। कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी ने इस बात की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया का कार्यान्वयन अक्टूबर के पहले हफ्ते से शुरू हो जाएगा, और लक्ष्य है कि मार्च 2024 तक 5 करोड़ किसानों का पंजीकरण पूरा कर लिया जाएगा।
डिजिटल कृषि मिशन के तहत होगा रजिस्ट्रेशन
यह पहल सरकार के 2,817 करोड़ रुपये के डिजिटल कृषि मिशन (Digital Agriculture Mission) का हिस्सा है, जिसे हाल ही में मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है। यह रजिस्ट्रेशन अभियान देशभर में चलाया जाएगा और इसके लिए पूरे देश में विशेष शिविर लगाए जाएंगे। किसानों की इस रजिस्ट्री से हर रजिस्टर्ड किसान को आधार जैसी यूनिक आईडी मिलेगी, जो उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP), किसान क्रेडिट कार्ड (Kisan Credit Card) और अन्य सरकारी कृषि योजनाओं तक पहुंचने में मदद करेगी।
पहल | विवरण |
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यूनिक आईडी | आधार जैसी आईडी, किसानों को MSP और योजनाओं तक पहुंच |
पंजीकरण का लक्ष्य | मार्च 2024 तक 5 करोड़ किसानों का रजिस्ट्रेशन |
डिजिटल मिशन | 2,817 करोड़ रुपये का डिजिटल कृषि मिशन |
किसानों की रजिस्ट्री से मिलेगा योजनाओं का लाभ
देवेश चतुर्वेदी ने कहा कि इस रजिस्ट्रेशन के बाद किसानों को बार-बार वेरिफिकेशन की परेशानी से नहीं गुजरना पड़ेगा। अभी तक किसानों को हर बार किसी भी सरकारी योजना का लाभ उठाने से पहले नए सिरे से वेरिफिकेशन कराना पड़ता है, जिसमें न केवल समय और धन खर्च होता है, बल्कि किसानों को कई बार उत्पीड़न का भी सामना करना पड़ता है। यह नई पहल किसानों की इन सभी समस्याओं को दूर करेगी।
नीति निर्माण में मिलेगी मदद
किसानों के आंकड़ों का डिजिटल रिकॉर्ड होने से सरकार को नीति निर्माण में भी बड़ी मदद मिलेगी। इससे योजनाओं को ज्यादा सटीक और लक्षित तरीके से लागू किया जा सकेगा। वर्तमान में सरकार के पास कृषि भूमि और फसलों से जुड़े आंकड़े तो होते हैं, लेकिन व्यक्तिगत किसानों से जुड़ी सूचनाएं नहीं होतीं। नई रजिस्ट्री इस कमी को दूर करेगी और नीति नियोजन को अधिक प्रभावी बनाएगी।
तकनीकी हस्तक्षेप से होगा किसानों का भला
सरकार किसानों के लिए तकनीकी हस्तक्षेप के कई अन्य उपायों पर भी काम कर रही है। इसमें एआई-आधारित चैटबॉक्स प्रणाली भी शामिल है, जिससे किसानों को सीधे जवाब मिल सकें। प्रगतिशील किसानों, वैज्ञानिकों, और कंपनियों को इस पंजीकरण प्रक्रिया में भागीदारी के लिए भी प्रोत्साहित किया जा रहा है, ताकि अधिक से अधिक किसान इस पहल से जुड़ सकें।
पहले से चल रही पायलट परियोजनाएं
महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में पहले ही इस यूनिक आईडी प्रणाली की पायलट परियोजनाएं चलाई जा चुकी हैं, और 19 राज्य पहले से इस प्रक्रिया पर काम कर रहे हैं। यह पहल न केवल योजनाओं तक किसानों की पहुंच को आसान बनाएगी, बल्कि सरकार को कृषि क्षेत्र के विकास के लिए सही नीति और समर्थन देने में मदद करेगी।