तहलका मचा रही धान की नई किस्म; बंपर पैदावार और शानदार कमाई का मौका
धान की नई किस्म साठा धान: सहारनपुर के किसान सुरेंद्र चौधरी ने साठा धान की खेती की शुरुआत की है, जो ऑर्गेनिक और कैल्शियम से भरपूर है। जानें इस नई किस्म की विशेषताएँ और कैसे यह किसानों के लिए फायदे की साबित हो रही है।
satha paddy seeds- सहारनपुर, 3 सितंबर 2024: उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के बेहट विधानसभा क्षेत्र के गांव नुनिहारी के किसान सुरेंद्र चौधरी ने अपने खेत में साठा धान की खेती शुरू की है, जो किसानों के लिए एक नया और लाभकारी विकल्प साबित हो सकता है। इस लेख में हम जानेंगे साठा धान की विशेषताओं, इसकी खेती के लाभ और किसान सुरेंद्र चौधरी के अनुभव के बारे में।
साठा धान: एक अनोखी किस्म
साठा धान की विशेषताएँ:
साठा धान देखने में घास की तरह लगता है, और इसके फल ऊपर की जगह धान के बीच में आते हैं। यह धान कैल्शियम से भरपूर होता है, जो हड्डियों की मजबूती के लिए बहुत फायदेमंद है। खास बात यह है कि साठा धान का चावल शुगर फ्री होता है और बच्चों की इम्युनिटी को बढ़ाने के लिए भी इसे उपयोग में लाया जाता है। इसके चावल को मार्केट में ₹200 प्रति किलो के हिसाब से बेचा जाता है।
खेती की विधि:
सुरेंद्र चौधरी ने साठा धान की खेती ऑर्गेनिक तरीके से शुरू की है। इस किस्म की पौध तैयार नहीं की जाती, बल्कि सीधे खेत में बीज बोया जाता है। चौधरी का कहना है कि वह इस फसल में केवल ऑर्गेनिक खाद का ही इस्तेमाल करते हैं और इसमें कीड़ा भी नहीं लगता।
सुरेंद्र चौधरी का अनुभव
फसल की सफलता:
सुरेंद्र चौधरी ने अपने डेढ़ बीघा खेत में साठा धान की खेती की शुरुआत की है। उनका कहना है कि इस धान की खेती से वह अन्य धान की खेती से तीन गुना अधिक लाभ कमा सकते हैं। सुरेंद्र चौधरी ने अपने अनुभव से यह भी बताया कि उनके बड़े बुजुर्ग जब किसी की हड्डी कमजोर हो जाती थी, तो अलसी और साठे चावल के लड्डू तैयार कर खिलाए जाते थे।
बीजों का संरक्षण:
सुरेंद्र चौधरी बीजों के संरक्षण में भी रुचि रखते हैं और इस कार्य के लिए उन्हें कई पुरस्कार मिल चुके हैं। वह बताते हैं कि इस प्रजाति के बीज को उन्होंने पहाड़ों से तीन साल पहले लाकर अपने खेत में बोया था। हालांकि, वर्तमान में इस प्रजाति को किसान भूलते जा रहे हैं और यह धीरे-धीरे विलुप्त होती जा रही है।
साठा धान की खेती के फायदे
लाभ और कमाई:
साठा धान की खेती से किसानों को बंपर पैदावार और शानदार कमाई का मौका मिल सकता है। इसके अलावा, ऑर्गेनिक खेती के कारण फसल में कीड़ों का आक्रमण भी नहीं होता, जिससे उत्पादन लागत में भी कमी आती है।
पारंपरिक उपयोग:
इस धान का चावल पारंपरिक रूप से हड्डियों की मजबूती और बच्चों की इम्युनिटी के लिए उपयोग किया जाता था, जो आज के समय में भी उतना ही प्रभावी है।
आगे की संभावनाएँ
फसल का प्रचार:
किसानों को साठा धान के फायदों और इसके संभावित लाभ के बारे में अधिक जानकारी देने की जरूरत है ताकि यह प्रजाति विलुप्त न हो। अगर इस फसल को अधिक किसान अपनाएँ, तो यह कृषि क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर सकता है।