क्यों सरसों तेल पर कई देशों में बैन है? जानें, इसके इस्तेमाल से जुड़े खतरे और सेहत पर प्रभाव
mustard oil ban-जानें, क्यों अमेरिका, कनाडा, और यूरोप के कई देशों में सरसों तेल पर बैन लगा हुआ है। सरसों तेल के फायदे और नुकसान के बारे में रिसर्च क्या कहती है, और इसके इस्तेमाल से दिल और स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है।
सरसों तेल का उपयोग और इसके स्वास्थ्य पर प्रभाव
भारत में सरसों तेल का उपयोग बड़े पैमाने पर खाना बनाने के लिए किया जाता है, खासकर उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में। सरसों तेल को कुकिंग ऑयल के रूप में इस्तेमाल करने का एक लंबा इतिहास है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस तेल को अमेरिका, कनाडा और यूरोप के कई देशों में बैन कर दिया गया है?
सरसों तेल पर बैन का कारण
सरसों तेल में पाया जाने वाला हाई इरुसिक एसिड (erucic acid) इसे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बनाता है। इरुसिक एसिड एक प्रकार का मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड है, जो अगर ज्यादा मात्रा में खाया जाए, तो हार्ट, फेफड़े और स्किन से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं। इसी कारण से अमेरिका और यूरोप के कई देशों में सरसों तेल का कुकिंग ऑयल के रूप में इस्तेमाल करना प्रतिबंधित है।
रिसर्च क्या कहती है?
रिसर्च के अनुसार, सरसों तेल में मोनो सैचुरेटेड फैट पाया जाता है, जो कोलेस्ट्रॉल लेवल को कंट्रोल करने में मदद कर सकता है। लेकिन नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार, इस तेल का ज्यादा सेवन करने से दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। अमेरिकी फूड विभाग (FDA) ने भी सरसों तेल को लेकर चेतावनी जारी की थी, जिसमें कहा गया था कि सरसों तेल में मिलावट की जा रही है, जिससे हाई इरुसिक एसिड की मात्रा और भी बढ़ गई है।
सरसों तेल के अन्य दुष्प्रभाव
सरसों तेल में लिल आइसोथियोसाइनेट (allyl isothiocyanate) की मात्रा भी अधिक होती है, जो शरीर पर जलन और सूजन पैदा कर सकता है। स्किन पर इसका उपयोग करने से खुजली और अन्य समस्याएं हो सकती हैं, खासकर उन लोगों में जिनकी त्वचा संवेदनशील होती है।
भारत में सरसों तेल का उपयोग क्यों जारी है?
भारत में सरसों तेल का उपयोग मुख्य रूप से उसके पारंपरिक महत्व और स्वाद के कारण होता है। हालांकि, यह ध्यान रखना आवश्यक है कि इस तेल का सीमित मात्रा में उपयोग स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित हो सकता है।