Murrah Buffalo: इस नस्ल की भैंस सालभर में देती है 3000 लीटर दूध, कीमत जाती है लाखों में
Murrah Buffalo: जानें मुर्रा भैंस के बारे में, जिसे 'काला सोना' कहा जाता है। इसके उच्च दुग्ध उत्पादन और आर्थिक लाभ के कारण पशुपालकों के लिए यह एक वरदान साबित हो रही है।
Murrah Buffalo: उच्च दुग्ध उत्पादन से लेकर काले सोने की पहचान तक, मुर्रा नस्ल की भैंस ने भारतीय पशुपालन उद्योग में मचाई धूम
पशुपालन अब केवल ग्रामीण अंचलों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह शहरी क्षेत्रों के लोगों के लिए भी समृद्धि का नया रास्ता बन रहा है। गाय, बकरी, और सूअर पालन के साथ-साथ भैंस पालन भी इस क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। विशेषकर मुर्रा नस्ल की भैंस, जिसकी पहचान उच्च दुग्ध उत्पादन और आर्थिक लाभ के कारण होती है, भारतीय पशुपालन में एक नई दिशा दे रही है।
मुर्रा भैंस की खासियत: एक नजर
मुर्रा नस्ल की भैंस, जो जलेबी आकार के छोटे सींग, सुनहरे बाल, घुमावदार नाक और भारी स्तन के साथ पहचान रखती है, विश्व स्तर पर उच्च दुग्ध उत्पादक नस्लों में से एक मानी जाती है। यह भैंस मुख्य रूप से हरियाणा की पहचान है, लेकिन पंजाब, राजस्थान, बिहार, और उत्तर प्रदेश में भी इसका पालन किया जाता है।
इसकी सबसे बड़ी खासियत इसका उच्च दुग्ध उत्पादन है। मुर्रा भैंस प्रतिदिन 22 से 25 लीटर तक दूध देती है, जो इसे अन्य नस्लों से अलग बनाता है। एक वर्ष में यह भैंस 2800 से 3000 लीटर तक दूध का उत्पादन कर सकती है, जिससे इसे ‘काला सोना’ का नाम दिया गया है।
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मुर्रा भैंस: पशुपालकों के लिए आर्थिक वरदान
मुर्रा नस्ल की भैंसें 60 हजार से लेकर डेढ़ लाख रुपए तक की कीमतों में बाजार में उपलब्ध होती हैं। इनकी ऊंची कीमत और उच्च दुग्ध उत्पादन क्षमता के कारण यह पशुपालकों के लिए एक फायदे का सौदा साबित हो रही है। इस नस्ल की भैंसें न केवल दुग्ध उत्पादन में उच्च हैं, बल्कि इनके दूध की गुणवत्ता भी उत्कृष्ट होती है, जिससे पशुपालकों को अच्छा मुनाफा मिलता है।
मुर्रा भैंस का महत्व: क्यों है यह खास?
मुर्रा भैंस का पालन केवल आर्थिक लाभ तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारतीय पशुपालन उद्योग के लिए एक वरदान साबित हो रही है। इसकी उच्च दुग्ध उत्पादन क्षमता, टिकाऊपन और अनुकूलनशीलता ने इसे किसानों और पशुपालकों के बीच लोकप्रिय बना दिया है। इसके अलावा, इसकी सेहतमंद शारीरिक बनावट और रोग प्रतिरोधक क्षमता इसे और भी खास बनाती है।