DMK सांसद पर FEMA मामले में ED ने ठोका 908 करोड़ रुपये का जुर्माना
ED fines DMK MP In FEMA Case : DMK सांसद एस जगतरक्षकन पर ED की कार्रवाई, 908 करोड़ रुपये का जुर्माना, संपत्तियां जब्त, तमिलनाडु के कारोबारी सांसद पर गंभीर आरोप।
ED fines DMK MP In FEMA Case : प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने डीएमके सांसद एस जगतरक्षकन और उनके परिवार पर 908 करोड़ रुपये का भारी जुर्माना लगाया है। यह कार्रवाई फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (FEMA) के एक मामले में की गई है। इसके साथ ही, उनकी 89 करोड़ रुपये की संपत्तियों को भी जब्त किया गया है। इस मामले में ईडी ने बुधवार को जानकारी दी कि यह कदम चेन्नई में की गई जांच के बाद उठाया गया है।
ईडी की कार्रवाई: संपत्तियों पर छापा और जुर्माना
तमिलनाडु से सांसद एस जगतरक्षकन, जो कि एक जाने-माने कारोबारी भी हैं, के खिलाफ यह कार्रवाई फेमा के तहत की गई। ईडी ने चेन्नई में उनके और उनके परिवार के खिलाफ जांच-पड़ताल के बाद फेमा के सेक्शन 37ए के तहत 89.19 करोड़ रुपये की संपत्तियों को जब्त करने का आदेश जारी किया। इसके अलावा, सोमवार को एक न्यायिक फैसले के जरिए 908 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया गया।
यह भी उल्लेखनीय है कि पिछले साल आयकर विभाग ने भी टैक्स चोरी से जुड़े एक मामले में जगतरक्षकन के घर और ऑफिस समेत 40 से अधिक ठिकानों पर छापेमारी की थी, जिससे उनकी आर्थिक गतिविधियों पर सवाल खड़े हुए थे।
The properties worth Rs. 89.19 Crore which was seized in terms of Section 37A of FEMA was also ordered for confiscation, and penalty of Rs.908 Crore (approx.) is levied vide Adjudication Order passed on 26/08/2024.
— ED (@dir_ed) August 28, 2024
कौन हैं एस जगतरक्षकन?
एस जगतरक्षकन तमिलनाडु की अरक्कोणम लोकसभा सीट से सांसद हैं। उन्होंने 1999 के बाद से तीन बार इस संसदीय क्षेत्र से जीत दर्ज की है। नवंबर 2012 से मार्च 2013 तक वे कॉमर्स एंड इंडस्ट्री मिनिस्टर के पद पर भी कार्यरत रहे हैं। इसके अलावा, वह श्री बालाजी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के चेयरमैन और डॉ. रेला हॉस्पिटल एंड इंस्टीट्यूट के मालिक हैं। साहित्य के क्षेत्र में भी उनका योगदान है, उन्होंने 30 किताबें लिखी हैं, जिनमें से एक का अनावरण मदर टेरेसा ने किया था।
एस जगतरक्षकन का राजनीतिक करियर भी काफी पुराना है। 1980 में उन्होंने पहली बार तमिलनाडु विधानसभा के लिए चुनाव जीता था। तब उन्होंने एडीएमके के टिकट पर उथिरामेरुर विधानसभा से चुनाव लड़ा था। वह पहले ऐसे राजनेता हैं जिन्होंने एक प्रोफेशनल कॉलेज की स्थापना की। 1984 में उन्होंने ‘भारत इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी’ की स्थापना की, जिसे 2003 में विश्वविद्यालय का दर्जा मिला और इसका नाम ‘भारत यूनिवर्सिटी’ हो गया।