Haryana Weather Alert: हरियाणा, 2024 – हरियाणा में मानसून ने फिर से सक्रियता बढ़ा दी है, और मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में राज्य के कई जिलों में भारी बारिश की संभावना जताई है। विशेष रूप से पंचकूला, करनाल, यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, कैथल, रोहतक, सोनीपत, पानीपत, झज्जर, गुरुग्राम, फरीदाबाद, पलवल, और नूंह जिलों में आज बारिश की संभावना है। वहीं, कल से अगले दो दिनों तक पलवल, फरीदाबाद, नूंह, रेवाड़ी, कैथल, करनाल, सोनीपत, झज्जर, और गुरुग्राम जिलों में तेज बारिश का अलर्ट जारी किया गया है।
हरियाणा में मानसून की स्थिति
हरियाणा में इस साल मानसून सीजन में अब तक 59% कम बारिश हुई है। प्रदेश में सामान्यतः 326.2 एमएम बारिश होती है, लेकिन इस बार अभी तक केवल 266.8 एमएम बारिश ही दर्ज की गई है। इस कम बारिश ने किसानों को बड़ी मुश्किल में डाल दिया है, खासकर धान की पैदावार करने वाले किसानों को, जिन्हें ट्यूबवेल से सिंचाई करनी पड़ रही है।
जिलों में बारिश का आंकड़ा
पिछले 24 घंटों में हरियाणा के कुछ जिलों में अच्छी बारिश दर्ज की गई है। इनमें सबसे ज्यादा बारिश चरखी-दादरी में 20.5 एमएम, महेंद्रगढ़ में 3.5 एमएम और कुरुक्षेत्र में 2.0 एमएम रिकॉर्ड की गई है। इसके अलावा पंचकूला, रोहतक और करनाल में भी मौसम में बदलाव देखा गया, जहां कुछ जगहों पर हल्की बूंदाबांदी हुई।
कम बारिश वाले जिले
हरियाणा के 16 जिलों में मानसून की बारिश सामान्य से कम रही है। कैथल, करनाल, और पंचकूला जैसे जिलों में सामान्य से आधी बारिश भी नहीं हो पाई है। हिसार, जींद, यमुनानगर, पलवल और रोहतक जिलों में सामान्य से 30% से भी कम बारिश हुई है। हालांकि, महेंद्रगढ़ और नूंह जिलों में मानसून का काफी असर देखने को मिला, जहां सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की गई है।
जिला | बारिश (एमएम) |
---|---|
चरखी-दादरी | 20.5 |
महेंद्रगढ़ | 3.5 |
कुरुक्षेत्र | 2.0 |
आगे की संभावना
मौसम विभाग के अनुसार, हरियाणा में मानसून 31 अगस्त तक सक्रिय रहेगा। मानसून ट्रफ रेखा के दिल्ली के उत्तर में शिफ्ट हो जाने के कारण सतही हवा पश्चिमी दिशा में बदल गई है, जिससे प्रदेश में बारिश की संभावनाएं बढ़ गई हैं। इसके चलते, राज्य के किसानों को राहत मिलने की उम्मीद है, जिनकी फसलें कम बारिश के कारण प्रभावित हुई हैं।
जुलाई में कम बारिश का प्रभाव
हरियाणा में जुलाई 2024 में पिछले 5 वर्षों की तुलना में सबसे कम बारिश दर्ज की गई है। 2018 में 549 एमएम, 2019 में 244.8 एमएम, 2020 में 440.6 एमएम, 2021 में 668.1 एमएम, 2022 में 472 एमएम, और 2023 में 390 एमएम बारिश हुई थी, जबकि 2024 में अब तक सिर्फ 97.9 एमएम बारिश रिकॉर्ड की गई है। कम बारिश के कारण धान की फसल पर बुरा असर पड़ा है, और किसानों को सिंचाई के लिए ट्यूबवेल का सहारा लेना पड़ रहा है।