फिल्मों में इंटिमेट सीन की शूटिंग कैसे की जाती है? इमोशन कंट्रोल करने का होता है स्पेशल जुगाड़
Intimacy Coordinator : फिल्मों में इंटिमेट सीन्स को वास्तविकता के करीब दिखाने के लिए इंटिमेसी को-ऑर्डिनेटर की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है। जानिए कैसे ये प्रोसेस एक्टर्स की सुरक्षा और सीन की गुणवत्ता को सुनिश्चित करता है।
Bollywood Films: पुराने दौर की फिल्मों में इंटिमेट सीन्स को संकेतों के जरिए दर्शाया जाता था—जैसे कि पक्षियों का चोंच लड़ाना, दो फूलों का मिलना, या दूध का उबलना। लेकिन वक्त के साथ, फिल्मों में इंटिमेट सीन्स को वास्तविकता के करीब दिखाने का चलन बढ़ा है। आजकल, इन दृश्यों को फिल्माना न केवल एक्टर्स के लिए चुनौतीपूर्ण है बल्कि डायरेक्टर के लिए भी। इस प्रक्रिया में इंटिमेसी को-ऑर्डिनेटर की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो गई है।
इंटिमेसी को-ऑर्डिनेटर: एक्टर्स की सीमाओं का सम्मान
शूटिंग से पहले, इंटिमेसी को-ऑर्डिनेटर एक्टर्स के साथ एक वर्कशॉप आयोजित करते हैं, जिसमें वे एक्टर्स की इच्छाओं और सीमाओं पर चर्चा करते हैं। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि एक्टर्स को अपने इमोशंस को कंट्रोल में रखने का प्रशिक्षण मिल सके और वे पूरी सुरक्षा और सम्मान के साथ इंटिमेट सीन को अंजाम दे सकें। एक्टर्स को यह बताया जाता है कि सीन के दौरान कैसे रिएक्ट करना है और किस सीमा तक वे किसी को छू सकते हैं। इस दौरान अगर कोई भी असहजता महसूस हो, तो एक्टर्स को तुरंत ‘कट’ कहने का अधिकार होता है।
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इंटिमेट सीन्स की कैटेगरी: रेड, यलो और ग्रीन
इंटिमेसी को-ऑर्डिनेटर फिल्म के डायरेक्टर से ब्रीफ प्राप्त करने के बाद इंटिमेट सीन्स को तीन कैटेगरी में विभाजित करते हैं—रेड, यलो और ग्रीन।
- रेड कैटेगरी: इसमें सबसे ज्यादा इंटिमेसी होती है, जिसे फिल्माना सबसे अधिक संवेदनशील माना जाता है।
- यलो कैटेगरी: इसमें इंटिमेसी का स्तर रेड की तुलना में थोड़ा कम होता है।
- ग्रीन कैटेगरी: इसमें बहुत ही कम इंटिमेसी होती है, जो सामान्यतः हल्के इशारों तक सीमित रहती है।
इसके बाद, को-ऑर्डिनेटर इन सीन्स को विजुअलाइज करते हैं और प्लान तैयार करते हैं, जिसे बाद में एक्टर्स के साथ साझा किया जाता है।
इंटिमेसी किट और क्लोज्ड सेट पर शूटिंग
एक्टर्स को इंटिमेट सीन्स के लिए विशेष प्रकार के कपड़े दिए जाते हैं, जिसे “इंटिमेसी किट” कहा जाता है। यह किट सुनिश्चित करती है कि एक्टर्स को कोई शारीरिक असुविधा न हो। इसके बाद, क्लोज्ड सेट पर शूटिंग शुरू होती है, जहां केवल 4 से 5 लोग मौजूद होते हैं—डायरेक्टर, इंटिमेसी को-ऑर्डिनेटर, कैमरामैन, और संबंधित आर्टिस्ट। यह पूरी प्रक्रिया बेहद गोपनीयता और सम्मान के साथ की जाती है, ताकि एक्टर्स अपने किरदार में पूरी तरह डूब सकें।
इंटिमेट सीन्स के बदलते आयाम
इंटिमेसी को-ऑर्डिनेटर की बढ़ती भूमिका ने न केवल एक्टर्स की सुरक्षा और आराम को सुनिश्चित किया है बल्कि फिल्मों में इंटिमेट सीन्स को अधिक प्रामाणिक और वास्तविक भी बनाया है। यह बदलता हुआ ट्रेंड फिल्मों की विश्वसनीयता को बढ़ाने के साथ-साथ दर्शकों के साथ भावनात्मक जुड़ाव को भी गहरा करता है।