Independence Day 2024: तिरंगे की गौरवशाली यात्रा और उसकी महत्ता
Independence Day 2024: भारत के राष्ट्रीय ध्वज की अनोखी कहानी, जिसने देश को एकता के सूत्र में बांधा
Independence Day 2024: भारत 15 अगस्त, 2024 को अपना 78वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है। इस खास मौके पर, तिरंगा हर भारतीय के दिल में गर्व और सम्मान का प्रतीक बनेगा। तिरंगा, जो हमारे देश की सांस्कृतिक विविधता और स्वतंत्रता के लिए हमारे संघर्ष का प्रतीक है, की यात्रा और महत्व को जानना हर भारतीय के लिए गर्व की बात है।
तिरंगे का जन्म और उसका विकास
आज का तिरंगा, जिसे हम बड़े गर्व से राष्ट्रीय ध्वज के रूप में फहराते हैं, पहली बार पिंगली वेंकैया द्वारा 1921 में महात्मा गांधी के सामने प्रस्तुत किया गया था। उस समय, इस ध्वज में दो रंग – लाल और हरा – शामिल थे, जो भारत के प्रमुख समुदायों, हिंदू और मुस्लिम, का प्रतिनिधित्व करते थे। महात्मा गांधी ने इसमें सफेद रंग की पट्टी जोड़ने का सुझाव दिया, जो शांति और अन्य समुदायों का प्रतीक थी। इसके अलावा, गांधीजी ने ध्वज में एक चरखा भी शामिल करने का सुझाव दिया, जो आत्मनिर्भरता का प्रतीक था।
भारतीय ध्वज के विभिन्न संस्करण और उनका महत्व
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज ने अपने वर्तमान स्वरूप तक पहुंचने के लिए कई बदलावों का सामना किया। पहला राष्ट्रीय ध्वज 7 अगस्त, 1906 को कलकत्ता के पारसी बागान स्क्वायर (ग्रीन पार्क) में फहराया गया था। इस ध्वज को भगिनी निवेदिता के ध्वज के नाम से जाना गया। बाद में, 1907 में मैडम कामा ने एक और ध्वज फहराया, जिसमें कमल की जगह सप्तऋषि के सितारों को दर्शाया गया। इसे “बर्लिन समिति ध्वज” के नाम से भी जाना गया।
1917 में डॉ. एनी बेसेंट और लोकमान्य तिलक ने एक अलग ध्वज प्रस्तुत किया, जिसमें लाल और हरे रंग की क्षैतिज पट्टियां और सप्तऋषि तारामंडल के सात तारे शामिल थे। हालांकि, यह ध्वज जनता के बीच लोकप्रिय नहीं हो सका।
1931 तक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने औपचारिक रूप से तिरंगा झंडा अपनाया। इस संस्करण में सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद और नीचे हरा रंग था, जिसमें बीच में चरखा था। यह ध्वज भारत के विभिन्न समुदायों और स्वतंत्रता के लिए उसकी आकांक्षाओं का प्रतीक बना।
वर्ष | झंडे का संस्करण | प्रमुख विशेषताएँ |
---|---|---|
1906 | पारसी बागान स्क्वायर ध्वज | भगिनी निवेदिता द्वारा निर्मित |
1907 | बर्लिन समिति ध्वज | सप्तऋषि के सितारे शामिल |
1917 | एनी बेसेंट और लोकमान्य तिलक का ध्वज | सप्तऋषि तारामंडल के साथ हरे और लाल पट्टियां |
1931 | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का तिरंगा ध्वज | केसरिया, सफेद, हरा रंग और चरखा |
तिरंगे का वर्तमान स्वरूप
तिरंगे का वर्तमान स्वरूप 22 जुलाई, 1947 को अपनाया गया। इसमें सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद और नीचे हरा रंग होता है। ध्वज के बीच में एक नीला अशोक चक्र होता है, जो धर्म चक्र का प्रतीक है और इसे सच्चाई, धर्म, और न्याय का प्रतीक माना जाता है।
इस स्वतंत्रता दिवस पर, तिरंगा हर भारतीय के दिल में देशभक्ति का ज्वार उत्पन्न करेगा। यह ध्वज केवल रंगों का मेल नहीं है, बल्कि यह उन हजारों स्वतंत्रता सेनानियों और नागरिकों की बलिदान की कहानियों का प्रतीक है, जिन्होंने इस देश को आज़ाद करवाने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।