Haryana Monsoon Rain Alert; Today Weather Forecast: हरियाणा में मानसून की दोबारा एंट्री से मौसम ने करवट ली है। शनिवार रात से हिसार, सिरसा, करनाल, यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, पानीपत, गोहाना, पंचकूला और अंबाला में रुक-रुककर बारिश का दौर जारी है। अधिकांश शहरों में बादल घिरे हुए हैं, जिससे मौसम सुहाना हो गया है।
मौसम विभाग ने आज महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, झज्जर, गुरुग्राम, पलवल, फरीदाबाद, भिवानी और चरखी दादरी जैसे 8 जिलों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। यमुनानगर और आसपास के इलाकों में हो रही बारिश के कारण सोम नदी का पानी घरों में घुस गया है, जिससे स्थानीय लोग प्रभावित हो रहे हैं।
हिसार में शनिवार शाम घोड़ा फार्म रोड पर बारिश के चलते एक दो मंजिला बिल्डिंग ढह गई। पिछले दिनों की बारिश ने बिल्डिंग के सामने बड़ा गड्ढा बना दिया था, जिससे खतरा बढ़ गया था। हालांकि, समय रहते बिल्डिंग को खाली करा लिया गया था, इसलिए कोई जनहानि नहीं हुई।
16 अगस्त तक रहेगा मानसून सक्रिय
हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (HAU) के मौसम विभाग के अध्यक्ष डॉ. मदन खीचड़ के अनुसार, पंजाब के ऊपर पाकिस्तान में एक साइक्लोनिक सर्कुलेशन बन रहा है, जिससे मानसून ट्रफ की अक्षय रेखा उत्तर की ओर सामान्य स्थिति में बनी रहेगी। इसके अलावा, बंगाल की खाड़ी से आ रही मानसूनी हवाओं के कारण 16 अगस्त तक राज्य में मानसून की सक्रियता बनी रहेगी।
इस दौरान, 12 और 13 अगस्त को हरियाणा के उत्तर और पश्चिमी क्षेत्रों में हल्की बारिश और 14 से 16 अगस्त के बीच राज्य के ज्यादातर हिस्सों में मध्यम से तेज बारिश होने की संभावना है। साथ ही, बीच-बीच में तेज हवाएं चलने और बादल छाए रहने से दिन के तापमान में गिरावट आएगी।
अगस्त में हुई सामान्य से अधिक बारिश
अगस्त के पहले 10 दिनों में हरियाणा के 22 जिलों में सामान्य से 42% अधिक बारिश रिकॉर्ड की गई है। जहां इस अवधि में सामान्यत: 53.9 मिमी बारिश होनी थी, वहीं 76.7 मिमी बारिश हो चुकी है। हालांकि, फतेहाबाद, हिसार, कैथल, करनाल, पलवल, पंचकूला और पानीपत में सामान्य से कम बारिश हुई है।
जुलाई में कम बारिश से किसानों को नुकसान
इस बार जुलाई में हरियाणा में 5 सालों में सबसे कम बारिश दर्ज की गई है। आंकड़ों के अनुसार, 2018 में 549 मिमी बारिश हुई थी, जबकि 2024 में केवल 97.9 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई है। इस कम बारिश के कारण धान की पैदावार करने वाले किसानों को सिंचाई के लिए ट्यूबवेल का सहारा लेना पड़ रहा है, जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान भी हो रहा है।