गंदे सीन और अश्लील कंटेंट की वजह से भारत में बैन हुईं ये फिल्में

रत्ना पाठक और कोंकणा सेन स्टारर फिल्म 'लिप्स्टिक अंडर माय बुर्का' में भी भर-भरकर अश्लील सीन परोसे गए. ऐसे में फिल्म पर अपमानजनक भाषा और ऑडियो अश्लीलता का आरोप लगाते हुए बैन कर दिया गया.

फिल्म 'फायर' 1996 में रिलीज हुई थी जिसमें दो महिलाओं के आपस में प्यार की कहानी है. फिल्म पर समलैंगिक प्रेम को बढ़ावा देना और दो महिलाओं सीता और राधा का नाम लेकर हिंदू आस्था पर हमला करने का आरोप लगा

2003 की फिल्म 'पांच' 1976-77 में पुणे में जोशी-अभ्यंकर की सिलसिलेवार हत्याओं पर बेस्ड है. अनुराग कश्यप की इस फिल्म को हिंसा, ड्रग्स, कठोर भाषा, जंग और हत्या के महिमामंडन की वजह से बैन कर दिया गया था.

'द पिंक मिरर' (गुलाबी आईना) भारतीय समलैंगिकता पर बेस्ड फिल्म थी. 2003 में बनी इस फिल्म को सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन ने अश्लील और आपत्तिजनक करार देते हुए बैन कर दिया गया.

फिल्म 'उर्फ प्रोफेसर' एक ब्लैक कॉमेडी फिल्म है. लेकिन अश्लील कंटेंट और सीन्स की वजह से इसपर भी बैन लगा दिया गया.

मीरा नायर की फिल्म 'कामसूत्र: अ टेल ऑफ लव' में अश्लील सीन्स की भरमार थी. वात्स्यायन के प्राचीन हिंदू ग्रंथ कामसूत्र पर आधारित इस फिल्म को सेंसर बोर्ड ने अनैतिक करार देते हुए बैन कर दिया.

1994 की फिल्म 'बैंडिट क्वीन' फूलन देवी की लाइफ पर बेस्ड है. माला सेन की किताब पर आधारित ये फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी. लेकिन फिल्म में महिलाओं के खिलाफ जो हिंसा दिखाई गई और उच्च वर्ग के पुरुषों के बालात्कार करने के मामले दिखाए गए